Wednesday, March 13, 2013

क्योंकि वह शहर का सबसे अमीर आदमी था



वह जो मारा गया
शहर का सबसे अमीर आदमी था
ऐसी चर्चा
हर आदमी से सुनने को मिली

शहर आबादी के लिहाज से छोटा नहीं
पर मैं दिल्ली से गया था
बतौर पत्रकार, तो भी लोग महत्त्व देने को राजी नहीं
गोया वे तय थे
मेरे जैसे कितने लोग
आगे पीछे घूमते थे उसके
और वह जिन्हें फेंकता था हड्डियां

किसी के चेहरे पर कोई अविश्वास नहीं था
उसकी अमीरी को लेकर
लोगों का मानना था
शहर की कोई लडकी उसके बिस्तर से नहीं बची थी
कोई मंदिर नहीं था अछूता
उसके दान से
कोई नेता नहीं नहीं लडता चुनाव
बगैर उसकी मर्जी के
कोई बलवा न हुआ था उसके चाहे बिना
चाहे कम्युनल रायट ही क्यों न हो
उसकी अमीरी के ये तर्क दे रहे थे लोग

मैं पता लगाने गया था हत्या के कारण का
और लोगों को नहीं था यकीन
कि उसकी हत्या कोई कर सकता है
वह बहुत ताकतवर था
क्योंकि वह बहुत अमीर था
शहर में सनसनाहट थी
तो भी शहर शान्त था, यूं कि
प्रतीक्षा में थे किसी बडी घटना की
दहशत थी, कौतूहल भी था
कि अब क्या होगा

शहर के लोगों ने अबतक नहीं सुना था
कि अमीर आदमी की हत्या होती है
बढता जा रहा था मेरा असमंजस
बहुत दिनों से था मैं इस पेशे में
हत्या और अमीर आदमी की हत्या में होता है फ़र्क
असहज था मेरे लिए

लेकिन शहर के लोग
इसे हत्या नहीं मान रहे थे
क्योंकि वह शहर का सबसे अमीर आदमी था

2 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत बढ़िया गवेषणा प्रस्तुत की है आपने!

Onkar said...

बहुत गहरी रचना